Sunday 24 May 2020

Question - answer : by myself

Greetings friends,
 Swami Vivekananda has said-: If you do not talk to yourself, then you are ignoring the best person in the world.  These lines are very true.
 We can never achieve what we thought in life by ignoring ourselves.  In that order, my post today is based on this episode, which is titled: - Question - Answer: By myself!







 I have a public question that everyone should ask themselves and should also try to find an answer to that question suited to themselves.  That question is what do I want in life?  The answer to this question may vary from perspective to individual.  But the answer will be power and money for most people.  Some people will include money and power as well as mental and spiritual peace in the order of this answer.  Now think for yourself that you have money, power but if you do not have peace, will you be happy.  off course not!  Then what is the way to get mental peace?





 We are so eager to achieve material pleasures that we do not get a chance to peek inside us. Or do we not want to suffer the pain of understanding ourselves? If we want to progress continuously with mental peace, then we should be  The quality should be contained within it, without which human upliftment is not possible.  That quality is called character purity.  When the character is pure, what we get in our life is permanent whether it is power or money, whether it is a relationship or your society.  Characteristic feature does not compel us to bow before anyone, it gives up circulation of truth in our blood and abandons fear, so we never have to face the downfall in life and if ever such situation comes one day or the other.  Truth rises up and automatically comes before people.  Character is not defined by just one word.  It includes all the qualities that make a human being worthy of being called a human being.  The person of character is not the one who controls his sexuality.  Character should also include other jaggery which are as follows:
 -Avoid condemning others
 -Respect women
 -Self control
 -Spirituality
 -Divine devotion
 -Selfless Service






 Now the question arises that what are the benefits of character purity?  Character is the paramount property of man.  Thinkers have the opinion: If money is lost, nothing is lost, health is lost, but if the character is gone then everything is gone.  In reality, they have been a virtuous who is equally characterful in terms of her soul, God and society.  Keep in mind that no matter how much wealth you have, how much power you have.  But even if you are not a virtuous, you cannot have peace despite all this.  Then your money and power will be of no use, all these facilities will be temporary.  These can fall anytime when our character is pure then we
 -Get courage to stand with truth
 - Ability to deny wrong develops
 - the fear of collapse ends
 - The body becomes energetic and the face brighter
 - Get mental and spiritual peace






 Now we come to know the benefits of being a characterful.  Now the question arises that how to keep your character pure?
 Acharya Chanakya has said - "Tame your thoughts because this is what makes your voice, tame your speech because this is what your actions become, control your actions because they become your habit, and your habits become your values ​and our character is created by our values.
 These things of Acharya Chanakya are very true.  Because what we see and hear takes the form of our thoughts and in the same way as our thoughts, we try to listen to see things again and then the same sequence goes on continuously. So we should listen well to see good.  Should be with good people so that we can make our character strong and strong. 


           There is an incident in the Ramayana when Ravana takes Mata Sita out of deceit. Then Lord Rama and Lakshmana find the mother Sita searching for the monkey King Sugriva.  Maharaja Sugriva who receives the jewels of Mata Sita.  He hands over those jewels to Lord Shri Ram.  Shri Ram while showing Karna Kundal to his brother Lakshman out of those jewels asks: Bhrata Lakshmana!  See, this Karn Kundal belongs to Sita, is it not?  I was stunned to hear the answer Laxman ji gave to him, he said- "Bhrata Shri! Sorry to me. I never even looked at the face of Mother Sita. So I am unable to recognize these Karn Kundals
But yes!  I have seen the anklets while performing the rituals of Maiya Sita. So I am identifying these  which are of Sita Maiya itself.





 If such purity really comes in an ordinary person, then he too can be on the path of greatness, we cannot become Lord Lakshman but we can try to imbibe the learning that comes from his life character in our life.  In the Bhagavad Gita, Lord Shri Krishna says- "Satpurus and characterful people never leave the earth."  Bad people are like storms and come and go but good people are like wind which moves at a slow pace. And human beings infuse a new energy in life and exist for life.
    

          Hope you liked my article, how do you define the character or what do you think about my article? Make sure to comment in the comment box and subscribe to my blog (apni vaani) so that the articles written by me are easily available.  
                  Thank you! Jai Hind Jai Bharat.

Tuesday 19 May 2020

सवाल-जवाब:-खुद से

नमस्कार मित्रों,
                  स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है-: यदि आप स्वयं से बाते नहीं करते तो आप दुनिया के सबसे अच्छे व्यक्ति को नजरअंदाज कर रहे हैं। यह पंक्तियां यथार्थ सत्य हैं।
                     हम खुद को नजरअंदाज करके कभी जीवन में वह मुकाम हासिल नहीं कर सकते जो हमने सोचा है। इसी क्रम में मेरी आज की पोस्ट इसी प्रकरण पर आधारित है जिसका शीर्षक है-: सवाल-जवाब: खुद से!







                मेरे पास एक सार्वजनिक प्रश्न है जिसे हर व्यक्ति को खुद से पूछना चाहिए और स्वयं के अनुकूल उस प्रश्न का उत्तर भी ढूंढने का प्रयास करना चाहिए। वह प्रश्न है मुझे जीवन में क्या चाहिए? इस प्रश्न का उत्तर अलग-अलग लोगों के परिप्रेक्ष्य में अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन ज्यादातर लोगों का उत्तर होगा पावर और पैसा। कुछ व्यक्ति पैसा और पावर के साथ-साथ मानसिक और आध्यात्मिक शांति को भी इस उत्तर के क्रम में शामिल करेंगे । अब आप खुद सोचिए आपके पास पैसा है, पावर है लेकिन शांति नहीं तो क्या आप खुश रह पाएंगे। बिल्कुल नहीं! तो फिर मानसिक शांति प्राप्त करने का क्या उपाय है?
     





           हम भौतिक सुखों को प्राप्त करने को इतने लालायित रहते हैं कि हमें अपने अंदर झांकने का मौका ही नहीं मिलता ।या फिर हम खुद को समझने का कष्ट उठाना ही नहीं चाहते ?अगर हम लगातार मानसिक शांति के साथ उन्नति करना चाहते हैं तो हमें एक ऐसे गुण को अपने अंदर समाहित करना चाहिए जिसके बिना मनुष्य का उत्थान संभव नहीं है। वह गुण चारित्रिक पवित्रता कहा जाता है। जब चरित्र पवित्र होता है तो हमें अपने जीवन में जो कुछ प्राप्त होता है वह स्थाई होता है चाहे वह पावर हो या पैसा चाहे वह रिश्ते हो या आपका समाज। चारित्रिक विशेषता हमें किसी के समक्ष झुकने को विवश नहीं करती यह हमारे रक्त में सत्यता का परिसंचरण करने के साथ भय का परित्याग करती है इसलिए हमें जीवन में कभी पतन का सामना नहीं करना पड़ता और अगर कभी ऐसी स्थिति आती भी है तो एक न एक दिन सत्य ऊपर उठकर खुद-ब-खुद लोगों के सामने आ जाता है। चरित्र केवल एक शब्द से परिभाषित नहीं होता। इसमें वह सारे गुण शामिल हैं जो एक इंसान को इंसान कहलाने योग्य बनाते हैं । चरित्रवान व्यक्ति वहीं नहीं है जो अपनी कामवासना पर नियंत्रण रखता है। चरित्रवान व्यक्ति में अन्य गुड़ भी शामिल होने चाहिए जो इस प्रकार हैं -:
- दूसरों की निंदा करने से बचें
- महिलाओं का सम्मान करें 
-आत्म नियंत्रण 
-मितभाषी 
-आत्मनिष्ठा
- ईश्वरीय भक्ति 
-स्वार्थ रहित सेवा   
 





           अब प्रश्न यह उठता है की चरित्र पवित्रता से होने वाले लाभ क्या हैं ? चरित्र मनुष्य की सर्वोपरि संपत्ति है। विचारको का मत है -:धन चला गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य चला गया तो कुछ गया ,लेकिन अगर एक बार चरित्र चला गया तो सब कुछ चला गया। यथार्थ में चरित्रवान रही है जो अपनी आत्मा, परमात्मा व समाज की दृष्टि में समान रूप से चरित्रवान हो। ध्यान रखिएगा आपके पास कितनी भी धन संपत्ति हो,कितना भी आपके पास पावर हो। लेकिन आप चरित्रवान नहीं है तो आपको यह सब होते हुए भी शांति प्राप्त नहीं हो सकती। तब आपका पैसा और पावर किसी काम का नहीं यह सारी सुविधाएं अस्थाई रहेंगी। कभी भी इन का पतन हो सकता है जब हमारा चरित्र पवित्र होता है तो हमें 
-सत्य के साथ खड़े होने की हिम्मत मिलती है
- गलत को नकारने की क्षमता का विकास होता है
- पतन का भय समाप्त होता है
- शरीर में स्फूर्ति और चेहरा तेजवान बनता है
- मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है 
            





             अब हमें चरित्रवान होने के लाभ तो पता चल गए। अब सवाल यह उठता है कि अपने चरित्र को पवित्र  कैसे रखा जाए?
         आचार्य चाणक्य ने कहा है -:"अपने विचारों को वश में रखो क्योंकि यही तुम्हारी वाणी बनते हैं, अपनी वाणी को वश में रखो क्योंकि यही तुम्हारे कर्म बनते हैं, अपने कर्मों को वश में रखो क्योंकि यही तुम्हारी आदत बनते हैं, और अपनी आदतों को वश में रखो यही तुम्हारा संस्कार बनते हैं, और हमारे संस्कार से ही हमारे चरित्र का निर्माण होता है। 
आचार्य चाणक्य की  यह बातें यथार्थ सत्य हैं। क्योंकि जो हम देखते और सुनते हैं वही हमारे विचारों का रुप ले लेते हैं और जो हमारे विचार होते हैं उसी अनुरूप हम पुनः चीजों को देखने का सुनने का प्रयत्न करते हैं और फिर यही क्रम निरंतर चलता रहता है ।इसलिए हमें अच्छा सुनना चाहिए अच्छा देखना चाहिए अच्छे लोगों के साथ रहना चाहिए जिससे हम अपने चरित्र को मजबूत और दृढ़ बना सकें। रामायण में एक प्रसंग आता है जब रावण माता सीता को छल से हर ले जाता है ।तब भगवान राम और लक्ष्मण माता सीता को खोजते खोजते वानर राज सुग्रीव के पास पहुंचते हैं। महाराज सुग्रीव को जो माता सीता के गहने प्राप्त होते हैं। वह उन गहनों को भगवान श्रीराम को सौंप देते हैं। श्रीराम उन गहनों में से कर्ण कुंडल अपने भ्राता लक्ष्मण को दिखाते हुए पूछते है-: भ्राता लक्ष्मण! देखो यह करण कुंडल सीता के ही हैं ना? इसपर लक्ष्मण जी जो जवाब देते हैं वह सुनकर मैं स्तब्ध रह गया उन्होंने कहा-" भ्राता श्री! माफ करना मुझे। मैंने कभी माता सीता के मुख की और देखा भी नहीं।अतः मैं इन करण कुंडलो को पहचानने में असमर्थथ हूं । लेकिन हां! मैया सीता की चरण वंदना करते समय मैंने पायलों को देखा है ।अतः मैं इन पायलों को पहचान रहा हूं जो सीता मैया की ही हैं ।
          

            


              सच में ऐसी पवित्रता अगर साधारण इंसान में आ जाए तो वह भी महानता के पथ पर अग्रसर हो सकता है हम भगवान लक्ष्मण तो नहीं बन सकते लेकिन उनके जीवन चरित्र से मिलने वाली सीख को हम अपने जीवन में आत्मसात करने का प्रयास तो कर सकते हैं। भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं-" सत्पुरुष और चरित्रवान व्यक्ति पृथ्वी से कभी नहीं जाते।" बुरे व्यक्ति तूफान की तरह होते हैं आते हैं और चले जाते हैं लेकिन अच्छे व्यक्ति हवा की तरह होते हैं जो मंद  गति  से चलते हैं ।और मानव जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार करते हैं और जीवन पर्यंत विद्यमान रहते हैं।
                 उम्मीद है आपको मेरा लेख पसंद आया होगा आप चरित्र को कैसे परिभाषित करते हैं या आप मेरे लेख के बारे में क्या सोचते हैं ?कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और मेरे ब्लॉग(apni vaani) को सब्सक्राइब करें जिससे मेरे द्वारा लिखे गए लेख आसानी से उपलब्ध हो सके.
                                  धन्यवाद !जय हिंद जय भारत ।

Saturday 18 April 2020

कोरोना वायरस -एक साजिश या कुदरती प्रकोप

नमस्कार मित्रों, इस समय पूरी दुनिया के लोग अपने अपने घरों में कैद हैं । विश्व के लगभग हर देश में लॉकडौन चल रहा है । पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था धराशायी हो चुकी है । क्या हमनें कभी सोचा था कि एक अदृश्य शक्ति हमे हमारे घरों में कैद कर देगी । जिन बेजुबान जानवरों को हम पिंजरों में कैद करके रखते थे आज वो आजाद हैं और उनकी जगह हम आ गए । पूरी मानव जाति को कुदरत के साथ खिलवाड़ बहुत महंगा पड़ रहा है ।  एक वायरस ने सभी देशों को एक लाइन में लाकर खड़ा कर दिया । कोई बड़ा नही कोई छोटा नही ,कोई  आगे नही कोई पीछे नही ।
                           





            पूरी दुनिया में चर्चा है कि ये वायरस चीन के वुहन शहर की लैब में बनाया गया है । ये मात्र एक अफवाह है या गंभीर चर्चा का विषय । जो भी हो लेकिन इस पर चर्चा तो करनी ही चाहिए और इसकी सत्यता की जांच आवश्यक है । वर्षो पहले लिखी गयी पूस्तक "THE EYE OF DARKNESS" में स्पष्ट लिखा है कि चीन अपनी लैब में एक बायोलॉजिकल हथियार तैयार करेगा । इस पुस्तक में  ये वायरस वुहान-400 नाम दिया गया है ।
                             चीन के समक्ष इस वायरस को लेकर बहुत गंभीर प्रश्न उठते है । जिनका जवाब पूरी दुनिया चीन से मांग रही है । चीन और अमेरिका के संबंधों में खटास भी इसी वायरस के कारण है ।  दोनों देश  एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप लग़ा रहे हैं । अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन से वीटो पावर छीनने की मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है ।
                                   








                      ये तो हो गयी अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे की बात । अब मैं आता हूं अपने व्यक्तिगत विचारों पर । जब मैं इस पोस्ट को लिखने के लिए कॉन्टेंट सर्च कर रहा था तब तक चीन में  कुल कोरोना मरीजों की संख्या 82719 हो चुकी थी ।  जिसमे से मौत का आंकड़ा 4500 के पार पहुच चूका था । और पूरी तरह स्वास्थ्य होने वाले मरीजों की संख्या 77029 है । जो अन्य देशों की तुलना में काफी ज्यादा है ।
                  अब बात करते हैं इटली के आंकड़ों की जहाँ कुल कोरोना पॉजिटिव की संख्या 172434 है । जिसमे से 42727 मरीज पूरी तरह स्वास्थ्य हो चुके हैं ।  और मृत्यु का आंकड़ा 22700 के पार पहुच चूका है ।
                         अब जरा गौर करते हैं  खुद को विश्व शक्ति मानने वाले देश अमेरिका के डाटा की जहाँ की स्थिति बड़ी ही भयावह है।  अब तक अमेरिका में कुल मरीजो की संख्या 710272 है । जिसमे से पूरी तरह से स्वस्थ्य हीने वाले मरीज की संख्या 63570 है और मरने वालों की संख्या 37000 के पार हो गया है ।
                   




                अब अगर इन तीनो देशो के आंकड़ों की तुलना करें तो चीन में कोरोना से ठीक होने वाले मरीजो का प्रतिशत इटली व् अमेरिका से कहीं ज्यादा है।
              जबकि अमेरिका व इटली में मौतों का सिलसिला अब भी जारी है । पिछले कुछ हफ़्तों में चीन में कोरोना मरीजो की संख्या में नाममात्र का ही इजाफा हुआ है। और इससे होने वाली मौतों का सिलसिला तो लगभग रुक ही गया है । जबकि इटली  अमेरिका फ्रांस व स्पेन जैसी महाशक्तोयां आज भी इस अदृश्य शक्ति के आगे नतमस्तक है ।
             



                 जहा इस वायरस का epicenter है,  आज  वहां जश्न क्यों मनाया जा रहा है ? वुहान की वो मार्किट कैसे खुल गयी जहाँ से ये वायरस पैदा हुआ था? क्या चीन ने  यह वायरस खुद बनाया था? क्या चीन के पास वैक्सीन उपलब्ध है ? अगर हाँ तो चीन दुनिया से क्यों छुपा रहा है ? क्या चीन पूरे विश्व में अपना वर्चस्व बनाने के लिए अपने नागरिकों को भी मार सकता है ?  क्या चीन ने इस वायरस से मुक्ति पा ली है? अगर नही तो चीन जश्न क्यों मन रहा है ? वो भी ऐसे वक़्त में जब पूरी दुनिया कोरोना की जंग में मशगूल है।  अगर आपके मन में भी ऐसे ही सवाल उठ रहे हैं तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं । और अपने व्यक्तिगत विचारों को भी साझा करें ।
   




                कोरोना से लड़ने में भारत सरकार का सहयोग करें व आरोग्य सेतु app को डाउनलोड करे तथा कम से कम 10 लोगो से भी जरूर करवाएं ।
                             जय हिंद जय भारत ।